Shayari

गुमनाम

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अकेला ही था मे गुमनाम राहों मे
सुनता गया सबकी लिखता गया अपनी,
अनजान ही रहा मे उन महफिलों से
जहां गूंजता गीत भी मेरा ही लिखा था //


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